Russia Ukraine Battle: रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन में आर-पार की लड़ाई पर अड़ गए हैं. रूसी सेना को रूस से बाहर की जमीन पर तैनाती का आदेश भी ड्यूमा से मिल चुका है. इसका मतलब ये है कि अब रूसी सेना दोनेत्स्क और लुहांस्क में किसी भी वक्त घुस सकती है. ये यूक्रेन की जमीन है. लेकिन रूस ने इसमें से तोड़कर DPR और LPR नाम के दो देश बना दिये हैं. अब तक पुतिन ने वो जमीनी मोर्चे भी तैयार कर लिये हैं जो जंग के हालात में यूक्रेन को सांस लेने का भी मौका नहीं देंगे. तो आखिर क्या है पुतिन का इस यूक्रेन वॉर का एंड गेम प्लान. आइए आपको बताते हैं इसके बारे में सबकुछ..
जंग का असली मोर्चा तैयार
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन से युद्ध के लिए जमीन से लेकर समंदर तक और आसमान से लेकर डिप्लोमेसी तक सारी मोर्चेबंदी सजा डाली है. पुतिन का असली गेम प्लान आर-पार की लड़ाई के लिए है. वरना जिस बेलारूस के वीडी बोल्शोय एयरपोर्ट पर 22 फरवरी को बर्फ की चादर नजर आ रही थी. एयरपोर्ट सुनसान नजर आ रहा था. उसी जगह पर एक दिन के बाद 23 फरवरी को सैनिकों की भारी भरकम तैनाती नहीं होती. जिस बेलारूस में 20 फरवरी को युद्धाभ्यास खत्म हो जाना था. वहां रूसी सेना के हजारों जवान और हथियार तैनात हैं और रूस की ये सैन्य मोर्चेबंदी सिर्फ बेलारूस में नहीं यूक्रेन के तीनों तरफ है.
पुतिन का कसता पंजा
पिछले दो दिनों में पुतिन के कदम उनके यूक्रेन फतह की मोर्चेबंदी की ओर इशारा करते हैं. पहले पुतिन ने यूक्रेन से विद्रोहियों वाले 2 इलाके काटकर 2 देश बनाया. और दूसरे दिन अजरबैजान के साथ स्पेशल करार भी कर लिया है. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ करार के बाद पुतिन ने कहा कि ये बहुत बड़ा काम हुआ है. उन्होंने कहा कि रूस और अजरबैजान के बीच सहयोग की घोषणा हमारे रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले गया है. वहीं, अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने कहा था कि आज बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज पर दस्तखत हुआ है, अब हमारे सहयोगी वाले रिश्ते हैं. बड़ा विशेषाधिकार है, बड़ी जिम्मेदारी भी है.
रूस के पश्चिमी सिरे पर यूक्रेन..
बता दें कि इस वक्त उत्तरी सरहद की तरफ बेलारूस की जमीन पर रूसी फौज मौजूद है. यूक्रेन के ठीक सामने पूरब की तरफ रूस की सेना मौजूद है. यूक्रेन के दक्षिण में कालासागर में रूस की सेना मौजूद है. लेकिन यूक्रेन के पूर्वी और दक्षिणी सरहद पर एक मोर्चा ऐसा है जहां पुतिन को दुश्मनों से खतरा था और ये मोर्चा जॉर्जिया का था. जहां नाटो की सेना के मौजूदगी रूस के लिए खतरनाक थी. पुतिन ने इसी जॉर्जिया वाले मोर्चे को काउंटर करने के लिए अजरबैजान से सीक्रेट डील कर ली है. ताकि जंग के हालात में रूस की सेना ठीक जॉर्जिया के बॉर्डर तक अपनी पहुंच बना सके.
24 घंटे के अंदर रूस यूक्रेन पर करेगा हमला?
अजरबैजान से समझौते के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने एक बार फिर अपने विरोधियों को चेतावनी दी है कि रूस की सेना के कदम नहीं थमेंगे. पुतिन ने कहा कि मैं दोहराऊंगा- रूस का हित, हमारे नागरिकों की सुरक्षा सबसे जरूरी है. इसलिए हम अपनी सेना और नौसेना को मजबूत करना जारी रखेंगे. जंग से पहले यूक्रेन के चारों ओर असली जमीन पर पुतिन की इन्हीं तैयारियों को देखकर पूरी दुनिया सहमी हुई है. अमेरिका और ब्रिटेन बार-बार रूसी हमले की बात कह रहे हैं. ऐसा ही डर ऑस्ट्रेलिया ने भी जताया है कि 24 घंटे के अंदर रूस यूक्रेन पर हमला करने वाला है.
पुतिन ने वॉर्निंग भी दे दी है
पुतिन की तैयारियों को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि रूस अब यूक्रेन पर हमला करने के लिए पूरी तरह तैयार है. और ये अगले 24 घंटे में कभी भी हो सकता है. बता दें कि हमले का डर सबसे अधिक यूक्रेन वालों को है. इसलिए आक्रमण से निपटने की तैयारी यूक्रेन में युद्ध स्तर पर शुरू हो चुकी है. रिटायर्ड सैनिकों और रिजर्व सेना को फौरन ज्वाइन करने को कहा गया है. क्योंकि बातचीत के दरवाजे खुले रखने का दावा करने वाले पुतिन ने दबे शब्दों में वॉर्निंग भी दे दी है.
पुतिन ने अखंड रूस वाले आरोप पर क्या सफाई दी?
अखंड रूस वाले आरोप पर पुतिन ने सफाई देते हुए कहा है कि हमने इस विषय पर अक्सर अनुमान लगाते देखा है और आगे भी देख सकते हैं कि रूस अपने साम्राज्य की सीमाओं के अंदर पुराना साम्राज्य बहाल करने जा रहा है. ये सच नहीं है. सोवियत संघ के पतन के बाद रूस ने असलियत को स्वीकार किया है. हम सोवियत के बाद बने सभी संप्रभु देशों के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पुतिन ने अपने ही मुंह से दोनों बातें कहीं. पहली यह कि रूस के कदमों से ऐसी आशंकाएं पैदा होती हैं कि पुतिन अखंड रूस बनाने की कोशिश कर रहे हैं. दूसरी बात यह कि पुतिन ये भी कहते हैं कि सोवियत के जमाने वाले देशों से वो अच्छे रिश्ते बनाना चाहते हैं. लेकिन उसमें से कई देशों को नाटो ने अपना हिस्सा बना लिया है. और यही रूस की दिक्कत है.
रूस के लिए यूक्रेन से आगे बढ़ने की गुंजाइश नहीं
2008 में रूस ने जॉर्जिया के जिस बगावती इलाकों को नया देश बना दिया था. तब रूस ने जॉर्जिया के उत्तरी सरहद पर अबकाजिया और साउथ ओसेट्टा नाम के दो इलाकों को नये देशों की मान्यता दे दी और वहां अपनी शांति सेना भेज दी. उस जॉर्जिया को नाटो ने बाद में अपना सदस्य बना लिया था. इसके 6 साल तक रूस चुपचाप रहा लेकिन फिर पुतिन ने 2014 में अगला कदम बढ़ाया और यूक्रेन के दक्षिण पूर्वी सरहद पर मौजूद क्रीमिया को रूस में मिला लिया. पुतिन के क्रीमिया कांड के बाद पूरी दुनिया में विरोध हुआ, पाबंदियां लगीं… पुतिन ने 8 साल का इंतजार किया और अब यूक्रेन के दो बागी इलाकों दोनेत्स्क और लुहांस्क को DPR और LPR नाम से 2 नये देश बना दिये हैं. इस तरह पश्चिम की ओर पुतिन के बढ़ते कदम अब यूक्रेन तक पहुंच चुके हैं. लेकिन रूस के लिए इस यूक्रेन से आगे बढ़ने की गुंजाइश बची नहीं है, क्योंकि इससे आगे के देश नाटो के पाले में पहले ही आ चुके हैं.
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Credit : http://zeenews.india.com