how putin is the super hero of world politics, Still doing Bluff | वैश्विक राजनीति के ‘ब्लफमास्टर’ पुतिन की कहानी, जानिए वे दुनिया के सभी नेताओं से अलग क्यों?


नई दिल्ली: क्या आपको पता है कि आखिर पुतिन के साथ दुनिया के किसी भी देश के लिए डील करना इतना मुश्किल क्यों है? अब तक अमेरिका के पांच राष्ट्रपति, पुतिन के साथ डील कर चुके हैं, लेकिन अमेरिका का कोई भी राष्ट्रपति उन्हें आज तक सही से नहीं समझ पाया है.

फिल्म के हीरो से कम नहीं पुतिन

पुतिन को वैश्विक राजनीति का सुपर हीरो कहा जाता है, जो Martial Artwork, Judo में ब्लैक बेल्ट हैं, जिन्हें घुड़सवारी करने का शौक है, जो शेर का शिकार करते हैं, जो अपनी Scuba Diving से सबको हैरान कर देते हैं और वो एक ऐसी फिल्म के हीरो हैं, जिसकी स्क्रिप्ट उन्होंने खुद लिखी हैं. बड़ी बात ये है कि आज अगर पुतिन, अमेरिका और पश्चिमी देशों के बड़े बड़े नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं तो इसके पीछे उनका वो संघर्ष है, जो मौजूदा रूस की नीतियों में भी साफ दिखता है और ये नीति है, Putin is Russia and Russia is Putin. यानी आज के समय में पुतिन ही रूस हैं और रूस ही पुतिन है.

पुतिन का संघर्ष

फिलहाल पुतिन की उम्र 69 वर्ष है. उनका जन्म 6 अक्टूबर 1952 को सोवियत रूस के Leningrad (लेनिनग्राद) में हुआ था, जिसे आज Saint Petersburg कहा जाता है. पुतिन जब अपने माता-पिता के साथ एक Shared Residence में रहते थे तो उस इमारत में उनके पास दो कमरों का ही एक घर था. उनके पिता सोवियत संघ की खुफिया पुलिस में बतौर एजेंट काम करते थे. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने सोवियत संघ की Crimson Military में शामिल होकर अपने देश की रक्षा की. पुतिन पर उनके पिता की कार्यशैली का इस कदर प्रभाव था कि वो बचपन से ही वैश्विक राजनीति और सैन्य संघर्षों में दिलचस्पी लेने लगे थे. वर्ष 1975 में उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता की ही तरह सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी, KGB में बतौर एजेंट काम करना शुरू कर दिया था.

जब दो धड़ों में बंटी दुनिया

उस समय दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई थी. एक हिस्से को Japanese Block कहते थे, जिसका नेतृत्व सोवियत संघ के पास था और दूसरा धड़ा था, Western Block, जिसका नेतृत्व अमेरिका और पश्चिमी देशों के पास था. इन दो धड़ों की तरह दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी भी 2 धड़ों में बंट गया था. एक था East Germany और दूसरा था West Germany. 

खतरों में खेले पुतिन!

आपने शायद Berlin Wall के बारे में सुना होगा. इस दीवार ने Berlin शहर को दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित किया था और ये जगह सोवियत संघ और अमेरिका के बीच छिड़े शीत युद्ध का Flashpoint थी. पुतिन की बतौर KGB एजेंट पहली पोस्टिंग इसी शहर में हुई थी. यानी पहली ही लड़ाई में उन्हें एक ऐसे शहर जाकर जासूसी करनी पड़ी, जहां खतरा बहुत था.

जर्मन भाषा के जानकार पुतिन

पुतिन ने East Germany में सोवियत संघ के लिए कई वर्षों तक पश्चिमी देशों की जासूसी की और इस दौरान वो जर्मन भाषा बोलना भी सीख गए. पुतिन अपने इंटरव्यू में कई बार कह चुके हैं कि वो सबके सामने अंग्रेजी में बात करने में असहज महसूस करते हैं. लेकिन जर्मन भाषा में वो माहिर हैं. पुतिन जब East Germany में Posted थे, उस समय की उनकी बहादुरी का एक किस्सा भी काफी मशहूर है. वर्ष 1989 में East Germany में वहां की Communist सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे और क्योंकि सोवियत संघ ही इस Communist Block का नेतृत्व कर रहा था, इसलिए लोगों ने सोवियत संघ और KGB के खिलाफ भी हिंसक आंदोलन शुरू कर दिए.

जब पुतिन के खून की प्यासी थी भीड़..

इस आंदोलन के बीच हिंसक भीड़ ने एक दिन Berlin में एक दफ्तर को घेर लिया, क्योंकि इस दफ्तर में सोवियत संघ के कुछ राजनयिक और KGB एजेंट्स निहत्थे फंसे हुए थे. ये भीड़, इन लोगों की हत्या कर देना चाहती थी और KGB के इन Brokers में पुतिन भी मौजूद थे, जिन्होंने वहां के सोवियत डिफेंस कमांड से मदद की मांग की, लेकिन मॉस्को से इस पर कोई आदेश नहीं मिलने से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. इसके बाद पुतिन ने बहुत बड़ा Bluff किया. वो बाहर आए और उन्होंने हिंसक भीड़ से कहा कि उनके लोगों के पास खतरनाक हथियार हैं और अगर ये लोग वहां से वापस नहीं गए तो वो इन हथियारों का इस्तेमाल करने में देर नहीं लगाएंगे. इसके बाद वहां से हिंसक भीड़ चली गई. लेकिन बाद में पता चला कि  पुतिन के पास कोई हथियार नहीं था और उनकी ही तरह दूसरे Brokers भी पूरी तरह निहत्थे थे.

आज भी Bluff कर रहे हैं पुतिन

अंग्रेजी में इसे Bluff करना कहते हैं और आज भी पुतिन यही कर रहे हैं. पुतिन इस समय दुनिया की बड़ी शक्तियों और NATO जैसे सैन्य संगठनों का ये जानते हुए भी टेस्ट ले रहे हैं कि, इस समय रूस ना तो पहले जैसी सुपरपॉवर है और उसकी अर्थव्यवस्था का साइज भारत से भी छोटा है.

ऐतिहासिक है साल 1991

1991 का साल सोवियत संघ और पुतिन दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसी वर्ष सोवियत संघ का विघटन हुआ था और पुतिन भी इसी साल KGB से Lieutenant Colonel के पद से रिटायर हुए थे. यानी जब रूस एक स्वतंत्र देश के तौर पर अस्तित्व में आया, तभी पुतिन का भी रशिया की राजनीति में प्रवेश हुआ और वर्ष 1994 में वो पहली बार Saint Petersburg के Deputy Mayor बने.

एजेंट से प्रधानमंत्री तक का सफर

इसके बाद वो Kremlin के Safety Employees Incharge बने, जो रशिया के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास है. फिर वो रूस के उप प्रधानमंत्री बने और वर्ष 1999 में उन्होंने रूस के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. यानी KGB के एजेंट से वो रूस के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए. 

लंबे विजन के साथ पुतिन की राजनीति

पुतिन वर्ष 2000 से 2004 और 2004 से 2008 के बीच रूस के राष्ट्रपति रहे. रूस में ये व्यवस्था थी कि वहां कोई भी नेता 2 बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बना रह सकता. इसलिए पुतिन वर्ष 2008 में रूस के प्रधानमंत्री बने और फिर 2012 में उन्होंने नया प्रस्ताव लाकर राष्ट्रपति कार्यकाल को चार वर्ष से 6 वर्ष कर दिया और 2 बार से ज्यादा राष्ट्रपति नहीं बनने की शर्तें भी समाप्त कर दीं. इससे ये बात पता चलती है कि पुतिन रूस की राजनीति में अपनी जड़ों को जमाने के लिए वर्षों से काम कर रहे थे और उनके पास इसके लिए पहले से विजन था. पुतिन के राष्ट्रपति कार्यकाल को आप ध्यान से देखेंगे तो उनके हर एक कार्यकाल में एक युद्ध होता है.

  • 2000 से 2004 के बीच उनके पहले कार्यकाल में रूस के मुस्लिम बहुल क्षेत्र चेचन्या में पुतिन ने सेना भेजकर वहां की अलगाववादी ताकतों को खत्म कर दिया था और इस युद्ध ने पुतिन को एक मजबूत और निर्णायक नेता के रूप में स्थापित किया.

  • 2004 से 2008 के बीच अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने जॉर्जिया में अपनी सेना को भेजकर वहां के 2 प्रांतों को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया. यानी जॉर्जिया के तीन टुकड़े कर दिए.

  • 2012 से 2018 के बीच तीसरे कार्यकाल में उन्होंने यूक्रेन के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्राइमिया पर कब्जा कर उसका रशिया में विलय कर दिया.

  • 2019 में जब पुतिन, क्राइमिया के दौरे पर गए थे, तब उन्होंने Leather-based Jacket पहन कर एक बाइक रैली निकाली थी. जिसमें पुतिन खुद Harley Davidson चला रहे थे और उनकी बाइक पर रशिया का झंडा लहरा रहा था.

  • और अब अपने चौथे कार्यकाल में पुतिन ने यूक्रेन के तीन टुकड़े कर दिए हैं. वहां के दो क्षेत्रों में सेना भेजकर उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया है.

अपने इस अंदाज के लिए जाने जाते हैं पुतिन

पुतिन की शख्सियत दुनिया के किसी भी नेता से बिल्कुल अलग है. वो कभी फिल्म के किसी हीरो की तरह शर्ट उतार कर, घुड़सवारी करते हैं. कभी वो जिम में वर्कआउट करते हुए दिख जाते हैं, बर्फ जितने ठंडे पानी में स्विमिंग करना उन्हें पसन्द है. उन्हें अलग-अलग Breed के canine पालने का शौक है, जिससे वो एक बार जर्मनी के पूर्व चांसलर Angela Merkel को भी डरा चुके हैं. इन सबके बीच, वो एक ऐसे नेता भी हैं, जो पूरी दुनिया को Bluff करने में माहिर है और अमेरिका जैसे देश के राष्ट्रपति को भी आज उन्होंने चिंता में डाल दिया है.

शांति की दुकानें

आज दुनिया में सब नेताओं ने शांति की दुकानें खोल ली हैं. सारे युद्ध शांति हासिल करने के नाम पर लड़े जा रहे हैं. शांति के नाम पर सबकुछ हो रहा है और अब शांति एक प्रोडक्ट की तरह है और इस प्रोडक्ट को अलग-अलग दुकानों पर बेचा जा रहा है. एक पुतिन की दुकान है, एक बाइडेन की दुकान है और एक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दुकान है और हर कोई युद्ध के नाम पर शांति का व्यापार कर रहा है.



Credit : http://zeenews.india.com

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