दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने पंजाबी अभिनेता और एक्टिविस्ट दीप सिद्धू समेत 16 अन्य आरोपियों के खिलाफ गणतंत्र दिवस हिंसा मामले में दायर दिल्ली पुलिस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट का शनिवार को संज्ञान लिया।
चीफ मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गजेंद्र सिंह नागर की अदालत ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए 29 जून को सभी आरोपियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं, मनिंदर सिंह और खेमप्रीत सिंह के खिलाफ अदालत ने पेशी वारंट जारी किए हैं। ये दोनों आरोपी अब भी न्यायिक हिरासत में हैं। इन दोनों को छोड़कर बाकी सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
न्यायाधीश ने कहा कि अदालत उन धाराओं को छोड़कर जिनके लिए अभियोजन की मंजूरी का इंतजार है, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं से संबंधित आरोपपत्र पर संज्ञान ले रही है। महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत अभी भी संबंधित अधिकारियों से मंजूरी का इंतजार है।
पेश मामले में केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हो गई थी, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस ने 17 मई को एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी।
दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट में कहा- गणतंत्र दिवस हिंसा की पहले से तैयारी थी, इसे अचानक हुई हिंसा कहना गलत
जांच अधिकारी ने अंतिम रिपोर्ट में उन गवाहों के नाम बताए जो गंभीर रूप से घायल हुए थे या जिनसे हथियार छीने गए थे। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को जांच का काम सौंपा गया था। क्राइम ब्रांच ने दीप सिद्धू और 15 अन्य के खिलाफ हिंसा के लगभग चार महीने बाद 17 मई को 3,224 पेज की पहली चार्जशीट दाखिल की थी।
दीप सिद्धू पर हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया गया था। सिद्धू को नौ फरवरी को हरियाणा के करनाल से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने उस पर लाल किले में अराजकता फैलाने का भी आरोप लगाया था।
इस मामले में पुलिस ने सिद्धू समेत अन्य पर दंगा, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश, डकैती, गैर इरादतन हत्या सहित आईपीसी की कई अन्य धाराओं के तहत आरोप लगाया है। वह दो महीने से अधिक समय तक जेल में रहा। अदालत ने सिद्धू को 17 अप्रैल को जमानत पर रिहा कर दिया था।
गौरतलब है कि केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की किसान संगठनों की मांग के समर्थन में 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर परेड निकाली थी। इस दौरान उनकी पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थीं और कुछ प्रदर्शनकारी लाल किले तक पहुंच गए थे। उन्होंने लाल किला की प्राचीर पर किसान संगठनों के झंडे और धार्मिक झंडा लगा दिया था।
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