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आज पराक्रम दिवस पर देशवासी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती मना रहे हैं। इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को नेताजी की जयंती पर कोलकाता में शहीद मीनार में सभा को संबोधित किया। इस दौरान नेताजी के भतीजे अर्धेन्दु बोस भी भागवत के साथ मंच पर देखे गए। उन्होंने कहा, “नेताजी के अधूरे काम हैं, जिन्हें पूरा करना है” उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया। नेताजी ने कभी स्वार्थ नहीं देखा। वह इतना शिक्षित थे कि ऐशो-आराम का जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने वनवास को चुना। बता दें कि पराक्रम दिवस पर केंद्र सरकार के अहम कार्यक्रम के तहत आज प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अंडमान निकोबार के अज्ञात द्वीपों के नाम 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम किये गए।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ने कहा कि नेताजी ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि बंगाल में यह कोई नई बात नहीं है। हर साल हम इस तरह का कार्यक्रम करते हैं। संघ अब एक बड़ा परिवार बन गया है। आरएसएस को अब हर कोई जानता है।
इस मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अर्धेंदु बोस ने कहा, “हम उन्हें सलाम करते हैं और याद करते हैं जिन्होंने हमारे लिए जीवन जिया।” कहा, हमने कभी नेताजी के साथ न्याय नहीं किया, न ही गुरु गोबिंद सिंह के साथ। दूसरों के हित में काम करने वालों को आलोचना का भी सामना करना पड़ता है। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कभी किसी चीज की उम्मीद नहीं की थी कि हम उन्हें आज भी याद करते हैं। उन्होंने न केवल अपने परिवार को छोड़ा बल्कि आगे बढ़कर देश के लिए संघर्ष किया। उन्होंने सत्ता को चुनौती दी। अगर किस्मत उनका साथ देती तो वह हमारे क्षेत्र में काफी आगे जा सकते थे।’
इससे पहले देश के स्वतंत्रता सेनानी बोस को श्रद्धांजलि देते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, “आज, पराक्रम दिवस पर, मैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि देता हूं और भारत के इतिहास में उनके अद्वितीय योगदान को याद करता हूं। उन्हें औपनिवेशिक शासन के प्रति उनके उग्र प्रतिरोध के लिए याद किया जाएगा। उनके विचारों से गहराई से प्रभावित होकर हम भारत के लिए उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं।”
गौरतलब है कि नेताजी का जन्म 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। आजाद हिंद फौज की स्थापना सुभाष चंद्र बोस ने ही की थी। बताया जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताइपे में एक विमान दुर्घटना में बोस की मृत्यु हो गई थी। यह घटना आज भी विवादास्पद बनी हुई है। आज का दिन सरकार ने साल 2021 को पराक्रम दिवस घोषित किया था। आज नेताजी की 126वीं जयंती पर अंडमान निकोबार के 21 अज्ञात द्वीपों के नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखे गए।
Credit : https://livehindustan.com