नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023: नॉर्थ ईस्ट में चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग ने तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। त्रिपुरा की सभी सीटों पर एक ही चरण में 16 फरवरी को मतदान होगा। मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा। तीनों राज्यों में दो मार्च को वोटों की गिनती होगी।
आगामी विधानसभा चुनावों से पहले, पूर्वोत्तर में चुनावी मौसम गर्म हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की त्रिपुरा और नागालैंड की यात्रा से पहले पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिपुरा और मेघालय का दौरा किया था। 2024 के आम चुनावों की तैयारी में जुटी केंद्र की सत्ताधारी भाजपा के लिए इन चुनावों में काफी कुछ दांव पर है। भाजपा किसी न किसी रूप में अधिकांश राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।
त्रिपुरा में फिर से कमाल करना चाहेगी भाजपा
त्रिपुरा में, सीपीआई (एम) को सत्ता से बेदखल करने के पांच साल बाद अमित शाह ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाने के लिए हाल ही में राज्य की अपनी पहली रथ यात्रा के साथ भाजपा अभियान को हरी झंडी दिखाई थी। 2018 के चुनावों में, बीजेपी ने 33 सीटें जीतीं थीं। इंडिजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने 4, सीपीएम ने 15 और कांग्रेस ने एक सीट जीती। छह सीटें खाली हैं। बीजेपी ने 2018 की अपनी जीत में लंबे वामपंथी शासन का अंत किया और बिप्लब देब मुख्यमंत्री बने। लेकिन पार्टी को प्रदर्शन के मुद्दों पर मई 2022 में उन्हें हटाना पड़ा और डॉक्टर माणिक साहा को नया सीएम बनाया गया। साहा के सामने राज्य इकाई के भीतर बढ़ते मतभेदों को दूर करने की चुनौती है।
शाह ने त्रिपुरा में माणिक्य शाही राजवंश के योगदान का विशेष उल्लेख किया था। अपने भाषण में उन्होंने स्पष्ट तौर पर शाही वंशज प्रदुत रॉय बर्मन देबबर्मा की ओर इशारा किया। बर्मन की टिपरा मोथा पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन की बढ़ती चिंताओं में से एक है। बर्मन की आदिवासी पार्टी ऐसे समय में ताकतवर हो रही है जब भाजपा की आदिवासी सहयोगी, आईपीएफटी खुद समस्याओं से घिरी हुई है।
कितनी तैयार कांग्रेस, TMC भी मैदान में?
त्रिपुरा में भाजपा के लिए कांग्रेस बड़ी चुनौती पेश कर सकती है। भाजपा के प्रतिद्वंद्वीयों वामपंथी और कांग्रेस के एक साथ मिलकर लड़ने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो सत्ताधारी पार्टी के लिए एक बड़ा झटका होगा। इसके अलावा, भाजपा के अपने प्रमुख सहयोगी – आदिवासी संगठन इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ संबंध खराब हैं। इस बीच, पूर्व कांग्रेस महिला विंग प्रमुख सुष्मिता देव त्रिपुरा में टीएमसी की पसंदीदा व्यक्ति हैं। पार्टी राज्य में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही है। टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी त्रिपुरा का दौरा कर चुकी हैं और चुनाव प्रचार के जोर पकड़ने पर वह दोबारा ऐसा करेंगी।
मेघालय में भाजपा गठबंधन में दरार, फायदा किसे?
मेघालय में भाजपा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में है। इस गठबंधन में संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री हैं। एनपीपी को 20, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) को 8, पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ) को 2, बीजेपी को 2 और 2 निर्दलीय हैं। विपक्षी टीएमसी के पास 9 सीटें हैं जो मुकुल संगमा के साथ कांग्रेस से आई हैं। चौदह सीटें खाली हैं। 2018 में मेघालय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, लेकिन 60 सदस्यीय विधायिका में उसकी 21 सीटों की संख्या आधे रास्ते से कम हो गई।
भाजपा के ईसाई विरोधी होने की धारणा को दूर करना मुश्किल हो गया है। दरअसल असम पुलिस की स्पेशल ब्रांच का एक पत्र सामने आया था। जिसमें भाजपा शासित असम में स्थानीय पुलिस स्टेशनों से धर्म परिवर्तन और राज्य में चर्चों की संख्या की जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद से ईसाई समुदाय की गलतफहमी और मजबूत हो गई। राज्य में भाजपा के खिलाफ सबसे मुखर विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है, जो मेघालय क्षेत्र में एक नई चुनौती पेश कर रही है। इसके पास पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व कांग्रेस नेता मुकुल संगमा के रूप में एक लोकप्रिय नेता है। दिसंबर में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने मेघालय का दौरा किया था। राज्य में पार्टी के मजबूत होने के बाद से उनका यह पहला दौरा था। उम्मीद है कि पार्टी इस सप्ताह के अंत में अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकती है। टीएमसी का उदय कांग्रेस की कीमत पर हुआ है, जो कभी राज्य में एक जबरदस्त ताकत थी। इस बार शून्य मौजूदा विधायकों के साथ मेघालय में चुनाव का सामना करेगी। इसके सभी 17 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है।
2018 में बीजेपी को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिली थी। पार्टी का लक्ष्य इस बार गठबंधन सरकार का नेतृत्व करना है। गठबंधन के सहयोगी आपस में ही लड़ रहे हैं। हिमंत बिस्वा सरमा, जो 2015 में ग्रैंड ओल्ड पार्टी से बीजेपी में आए थे और अब नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) के संयोजक हैं। वे सहयोगी दलों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
नागालैंड में मजबूत होगी भाजपा?
नागालैंड, पूर्वोत्तर का बेहद संवेदनशील राज्य है। सत्तारूढ़ गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक एलायंस (UDA) में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP), बीजेपी और नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) हैं। एनडीपीपी के नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। 2018 के चुनावों से पहले बना एनडीपीपी-बीजेपी गठबंधन नागालैंड में मजबूत होता जा रहा है। नागालैंड में कोई विरोध नहीं है। एनपीएफ के 21 विधायक यूडीए में शामिल हो गए। 2018 में एनपीएफ को 26, एनडीपीपी को 18, बीजेपी को 12, एनपीपी को 2, जेडीयू को 1 और 1 निर्दलीय सीट मिली थी।
हालांकि, कभी राज्य पर शासन करने वाले नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) ने घोषणा की है कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी और बीजेपी-नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के खिलाफ अनुभवी नेफ्यू रियो के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। 2018 की तरह, दोनों दलों ने चुनाव पूर्व गठबंधन की घोषणा की है। भाजपा 20 सीटों पर और एनडीपीपी शेष 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
इस बार, भाजपा की 2023 के चुनावों में 20 सीटों पर लड़ने और 40 अन्य में एनडीपीपी उम्मीदवारों का समर्थन करने की योजना है। भाजपा को लगता है कि सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को आंशिक रूप से हटाना उनके पक्ष में काम कर सकता है। 2018 में उसे 12 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, नागालैंड भाजपा को हाल ही में एक झटका लगा जब पार्टी के तीन जिला अध्यक्षों ने पार्टी छोड़कर जनता दल (यूनाइटेड) से हाथ मिला लिया।
कब खत्म हो रहा तीनों राज्यों का कार्यकाल?
60-60 सीटों वाली तीनों विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमश: 12, 15 और 22 मार्च को खत्म हो रहा है। तीनों राज्यों में 2.28 लाख मतदाता मतदान के पात्र हैं। पिछले हफ्ते, मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्तों अनूप चंद्र पांडे और अरुण गोयल ने चुनाव तैयारियों की समीक्षा के लिए तीन पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा किया था। बोर्ड परीक्षाओं और सुरक्षा बलों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए तीनों राज्यों के चुनाव कार्यक्रम तैयार किए गए थे।
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