कर्नाटक (Karnataka) सरकार भी राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करने के लिए पूरी गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार बस सही समय आने का इंतजार कर रही है। शु्क्रवार को राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि कि संविधान का प्रस्तावना समानता और बंधुत्व की बात करता है। बोम्मई ने इसके साथ-साथ कर्नाटक में बीजेपी सरकार की ओर से पास की गई धर्मांतरण विरोधी कानून को लेकर भी अपनी बात रखी है।
शिवमोगा में शनिवार को पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बोम्मई ने कहा, ‘हम दीनदयाल उपाध्याय के समय से समान नागरिक संहिता के बारे में बात कर रहे हैं। देश में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर इस पर गंभीर विचार चल रहा है। सही समय आने पर इसे लागू करने का भी इरादा है। हम यह भी चर्चा कर रहे हैं कि इसे अपने राज्य में कैसे (लागू) किया जाए। राज्य सरकार इसे लागू करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगी।’
लागू करने के लिए करेंगे उपाय
मुख्यमंत्री ने कहा, मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि हम न केवल उन चीजों की व्याख्या करेंगे जो लोगों के कल्याण को संभव बना सकती है और समानता ला सकती है, बल्कि इसे लागू करने के लिए उपाय भी करेंगे।’ देश के कुछ बीजेपी शासित राज्यों जैसे असम और उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता को लागू करने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केवल बीजेपी ही मूल्य आधारित राजनीति कर सकती है।
धर्मांतरण विरोधी कानून का भी हुआ था विरोध
वहीं, कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने जो धर्मांतरण विरोधी कानून पेश किया है, उस पर बोम्मई ने कहा कि कई लोगों ने इसे गैरसंवैधानिक कहा, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया है, जिसमें कहा गया है कि जबरन धर्म परिवर्तन एक अपराध है। जब भी हम समाज में समानता लाने के लिए सुधार शुरू करने के बारे में सोचते हैं, तो अक्सर इसकी गलत व्याख्या की जाती है।
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