महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा को लेकर जारी विवाद 66 सालों से जारी है। इसकी गूंज एक बार फिर सुनाई दे रही है। अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि इस विवाद का असर कर्नाटक में 2023 विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा दोनों ही राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के सरकार में होने से भी मामला सियासी तूल पकड़ता नजर आ रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, भआजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना है कि इस विवाद का भाषाई आधार पर कर्नाटक चुनाव में होगा। ऐसे में दोनों ही राज्यों की सरकार में भाजपा की हिस्सेदारी होने के चलते पार्टी के लिए परेशानी भी बढ़ सकती है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी सावधानी से महाराष्ट्र के समकक्ष एकनाथ शिंदे को घेर रहे हैं।
क्या कहती है भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक विधायक सीटी रवि का कहना है कि यह स्वभाविक है कि महाराष्ट्र भाजपा शिंदे का समर्थन करेगी, क्योंकि वे सरकार में हैं। उन्होंने कहा, ‘यह भाजपा बनाम भाजपा नहीं, बल्कि कर्नाटक बनाम महाराष्ट्र है।’ रवि ने कहा, ‘भाजपा मुद्दे को खत्म करने के लिए दोनो इकाइयों के बीच समाधान निकालने की कोशिश करेगी।’
कैसे पड़ेगा चुनाव पर असर?
कर्नाटक भाजपा को चिंता है कि मुद्दे का असर चुनाव में 6 या 7 सीटों पर पड़ सकता है। बीते कुछ सालों में महाराष्ट्र एकीकरण समिति यानी MES का प्रभाव कम होने के साथ ही भाजपा ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी थी। लेकिन शिवसेना के समर्थन से MES भी जमी रही और कर्नाटक की राजनीति में मौजूदगी दर्ज करा रही है।
MES का गणित
साल 2021 बेलगावी लोकसभा उपचुनाव में MES समर्थित उम्मीदवार शुभम शेल्के ने मराठी भाषियों के 1.5 लाख वोट हासिल किए थे। हालांकि, भाजपा कम अंतर से जीत गई थी, लेकिन वोट की संख्या बुरी तरह प्रभावित हुई थी। इधर, शेल्के का मानना है कि सीमा को लेकर जारी विवाद दो दलों कांग्रेस और भाजपा का है। उन्होंने कहा, ‘एमईएस को लेकर इसमें दिलचस्पी है कि सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला देता है।’
शेल्के ने कहा कि पार्टी बेलगावी शहरी, खानापुर ग्रामीण और निपाणी में चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। इन इलाकों में मराठी बोलने वाली आबादी बड़ी संख्या में है।
कांग्रेस का क्या है प्लान
कांग्रेस को उम्मीद है कि यह विवाद वोट बांटेगा, जिससे पार्टी को फायदा हो सकता है। एक पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘भाजपा सरकारों और खासतौर से बोम्मई ने हालात को बुरी तरह संभाला है।’ उन्होंने कहा कि हमें लाभ मिलेगा। जबकि, कांग्रेस विधायक अंजली निंबालकर का कहना है कि अदालत का फैसला आने के बाद ही सियासी असर का पता चलेगा।
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