लोकसभा चुनाव साल 2024 में होने वाले हैं। इसके लिए भाजपा ने अपनी रणनीतियों पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इन चुनावों में किसी एक जाति-समुदाय पर फोकस करने के बजाए, सभी को साथ लेकर चलने पर जोर रही है। वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस है, जो भारत जोड़ो यात्रा के लिए राजनीतिक जागरुकता की बात तो कर रही है। लेकिन इस दौरान जो कुछ भी हो रहा है, उसे कांग्रेस के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है।
बेस को कर रही मजबूत
एक तरफ भाजपा साल 2024 के चुनाव को देखते हुए अपने बेस को मजबूत कर रही है। वह इसके लिए डिजिटल इनीशिएटिव्स का भी सहारा ले रही है। इसी का नतीजा है कि 18 करोड़ सदस्यों के साथ यह दुनिया की सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन चुका है। दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य शीर्ष नेता जातिगत समीकरणों का बैलेंस बनाने में भी जुटे हैं। इसके तहत एक तरफ एससी जातियों के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वहीं, पीएम मोदी खुद भाजपा के दलित आइकॉन्स के लिए समर्थन दिखाने में जुटे हैं। इसके तहत दलित नेताओं को प्रमुख पद दिए जा रहे हैं। आदिवासी वोट बैंक को लुभाने के लिए द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ाया गया। इसके अलावा दलितों के करीब आने की कोशिश के तहत उनके घर पहुंचने की मुहिम भी चलाई गई।
ओबीसी वर्ग को लुभाने की कोशिश
इसके अलावा ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए भी भाजपा ने पूरी कोशिश की है। प्रधानमंत्री मोदी के पिछड़ा होने बात हो चाहे कैबिनेट में ओबीसी नेताओं को जगह देना। चाहे फिर नेशनल कमीशन फॉर बैकवर्ड कम्यूनिटीज को संवैधानिक दर्जा देने की बात हो। सब इसी कवायद का हिस्सा है। इन कवायदों का असर भी खूब दिखा है। लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे के मुताबिक भाजपा का ओबीसी वोट शेयर 1996 में 33 फीसदी थी, जो कि 2019 में बढ़कर 44 फीसदी हो गया। हालांकि यूपी और बिहार में उसके ओबीसी समर्थन में कमी भी आई है। इसकी खानापूर्ति के तौर पर भाजपा पिछड़ा मुस्लिम और अतिपिछड़ा हिंदू समुदायों को साधने में जुटी हुई है।
केवल हिंदू वोटर्स के भरोसे नहीं
दूसरी तरफ भाजपा अब केवल हिंदू वोटर्स के भरोसे नहीं रहना चाहती। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भी कोशिशों में लगे हुए हैं। पिछले साल पार्टी महासचिवों की बैठक में पीएम मोदी ने सभी समुदायों तक पहुंचने पर जोर दिया। उन्होंने केरल की बात की, जहां पर भाजपा अभी भी बहुत मजबूत नहीं है। मोदी ने केरल यूनिट में काम करने वालों को क्रिश्चियन समुदाय को जोड़ने के लिए कहा। गौरतलब है कि केरल में क्रिश्चियन समुदाय प्रभावी है। इसी तरह, हैदराबाद में इस साल भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान पीएम ने पिछड़े मुसलमानों को पार्टी का नया टारगेट बताया। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि पार्टी के लिए यह सिर्फ सोशल इंजीनियरिंग की बात नहीं है। असल में यह भविष्य के चुनावों में भाजपा को मजबूत आधार देगा।
राहुल बिगाड़ रहे कांग्रेस का काम
इससे इतर कांग्रेस की बात करें तो मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद वह चुनावी अभियान के लिए तैयार नहीं दिखती। कांग्रेस के खेमे में इसको लेकर कोई चिंता भी नहीं दिखाई देती। भारत जोड़ो यात्रा जैसी महत्वाकांक्षी सफर पर निकले राहुल गांधी भी अपने बयानों से कांग्रेस का काम बिगाड़ते दिख रहे हैं। चाहे वह आरएसएस का नेकर जलाने की बात हो या फिर वीर सावरकर के ऊपर दिया गया उनका बयान। इस बयान ने तो महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के बीच खाई तक पैदा कर दी। वहीं, मेधा पाटेकर के साथ राहुल की फोटो भी पार्टी के तौर कांग्रेस का नुकसान ही करने वाली है।
तैयारियों पर जोर
ऐसा नहीं है कि भाजपा केवल सोशल इंजीनियरिंग या जातिगत समीकरणों के दम पर चुनाव जीतने की मंशा रखती है। भाजपा के विजयी मिशन के पीछे उसकी जबर्दस्त तैयारी का भी बड़ा हाथ है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 2016 में ही तैयारी शुरू कर दी थी। तब के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना की 115 सीटों को चिन्हित किया था। यह ऐसी सीटें थीं, जिनपर 2014 के चुनाव में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी थी। इसके बाद भाजपा ने चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों के लिए रणनीति बनाई, उनपर काम किया और इनमें से कई पर जीत हासिल की। खासतौर पर पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में पार्टी का प्रदर्शन सुधरा था। इसी तरह साल 2024 के लिए अमित शाह और जेपी नड्डा ने 144 सीटों का चयन किया है। केंद्रीय मंत्रियों और पार्टी महासचिवों को इन पर काम करने की जिम्मेदारी दी है। साथ ही केंद्रीय नेतृत्व इन कामों की समीक्षा चल रही है।
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