दिल्ली में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक खत्म हो चुकी है। भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने बैठक के बाद यह भी बताया कि इस दौरान किन बातों पर चर्चा हुई। रविशंकर प्रसाद की बातों का लब्बोलुआब समझें तो भाजपा की निगाह 2023 में नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और उसके बाद 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। जाहिर सी बात है कि 2024 के आम चुनावों के लिए 2023 में नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल सरीखे हैं। दिलचस्प बात है कि इन नौ राज्यों में कई जगहों पर भाजपा सत्ता में है और कई जगहों पर सत्ता में वापसी की योजना भी बना रही है।
इन राज्यों में होने हैं 2023 में विस चुनाव
आइए सबसे पहले बात करते हैं उन राज्यों की जहां पर साल 2023 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन राज्यों में- मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, त्रिपुरा, तेलंगाना, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम हैं। अगर इन राज्यों में सत्ताधारी दलों की बात करें तो एमपी, कर्नाटक और त्रिपुरा में भाजपा शासन है, जबकि मेघालय और त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन है। वहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान दो ऐसे राज्य हैं, जहां भाजपा फिर से सत्ता में वापसी की राह देख रही है।
इन राज्यों में कितनी लोकसभा सीटें
अगर बात करें भाजपा के मिशन 2024 की तो वह एक बार फिर से केंद्र में सत्ता में आना चाहती है। ऐसे में लोकसभा का सेमीफाइनल माने जा रहे 2023 के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन उसके लिए काफी अहम होगा। अब बात करें इन राज्यों में लोकसभा सीटों की तो यहां कुल 116 सीटें हैं। इनमें सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 29, कर्नाटक में 28 और राजस्थान में 25 लोकसभा सीटें हैं। अन्य प्रदेशों में तेलंगाना 17, छत्तीसगढ़ 11, त्रिपुरा 2, मेघालय 2, नागालैंड 1 और मिजोरम एक लोकसभा सीट वाला प्रदेश है। इन 116 सीटों पर बेहतर प्रदर्शन के लिए भाजपा को सभी नौ राज्यों पर फोकस करना होगा।
तीन बड़े राज्यों में क्या हाल
अब बात करें कि इन राज्यों में भाजपा के लिए चुनौतियां क्या हैं तो यह काफी दिलचस्प होगा। यह चुनौतियां 2023 के विधानसभा चुनाव के हिसाब से तो अहम होंगी ही, अगर भाजपा यहां इनसे पार नहीं पाती तो 2024 की उसकी लड़ाई कठिन हो सकती है। मध्य प्रदेश में बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था। बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में आए तो यहां शिवराज फिर से सीएम बने। ऐसे में यहां भाजपा अतिरिक्त सतर्कता बरतने के मूड में, जिसकी झलक पिछले साल से ही यहां पर हो रहे तमाम बड़े आयोजनों में दिख रहा है। चाहे वो आदिवासियों को लुभाने की कोशिशें हों या फिर इंवेस्टर्स समिट का मेगा आयोजन। एमपी के लिए पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक लगे हुए हैं।
कर्नाटक में भी आसान नहीं, राजस्थान चुनौती
दूसरी तरफ 28 लोकसभा सीटों वाला कर्नाटक है, जहां पर भाजपा को एंटी इनकम्बैंसी से भी जूझना होगा। 2018 में भी यहां बड़ी मुश्किल से भाजपा की सरकार बनी थी। बसवराज बोम्मई के लिए यहां पर भाजपा किला बचाना काफी मुश्किल होगा। दूसरी तरफ राजस्थान में भाजपा गुटबाजी का शिकार होती नजर आ रही है। यहां पर वसुंधरा राजे सिंधिया, गजेंद्र शेखावत और सतीश पूनिया के बीच खींचतान मची हुई है। छत्तीसगढ़ में भाजपा बहुत कम्फर्टेबल पोजीशन में नजर नहीं आ रही है। यहां पर उसको एक अदद चेहरे के लिए जूझना पड़ रहा है। वहीं, तेलंगाना में केसीआर अलग ही तेवर में नजर आ रहे हैं। उन्होंने अपनी टीआरएस को बीआरएस में बदलकर राष्ट्रीय फलक पर पहुंचने की मंशा भी जता दी है।
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