डॉग बाइट से हुआ रेबीज तो क्‍या कुत्‍ते की तरह भौंकने लगता है मरीज? पानी से लगता है डर? डॉ. सागर से जानें


दिल्‍ली में सामने आए कुत्‍तों के काटने के आंकड़ों ने सनसनी मचा दी है. पिछले छह महीनों में सिर्फ दो अस्‍पतालों में 46 हजार से ज्‍यादा डॉग बाइट के केस आए हैं. ऐसे में कुत्‍तों, बिल्‍ली, बंदर, घोड़ा आदि पालतू जानवरों के काटने से फैलने वाले रेबीज रोग को लेकर भी डर बढ़ गया है. रेबीज इतना खतरनाक रोग है कि इसमें मरीज की मौत निश्चित है. वहीं इसके लक्षण भी ऐसे होते हैं कि मरीज का व्‍यवहार एकदम बदल जाता है. ऐसे में कई बार रेबीज के मरीजों को लेकर आपने भी सुना होगा कि किसी को कुत्‍ते ने काटा है और वह कुत्‍ते की तरह भौंक रहा है, या बिल्‍ली ने काटा है तो वह बिल्‍ली की तरह आवाज निकाल रहा है. हालांकि इस बात में कितनी सच्‍चाई है? इसकी जानकारी दिल्‍ली स्थित डॉग बाइट वैक्‍सीनेशन के सबसे बड़े अस्‍पतालों में से एक राम मनोहर लोहिया अस्‍पताल के कम्‍यूनिटी मेडिसिन में असिस्‍टेंट प्रोफेसर डॉ. सागर बोरकर दे रहे हैं.

डॉ. बोरकर कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में देशभर में ही खासतौर पर कुत्‍ते के काटने, चाहे वे पालतू हैं या आवारा हैं, के मामले तेजी से बढ़े हैं. अगर इनके काटते ही तुरंत प्राइमरी उपचार न किया जाए और एंटी रेबीज का इंजेक्‍शन न दिया जाए तो रेबीज वायरस के मरीज के खून में पहुंचने की संभावना बढ़ जाती है. जिन कुत्‍तों का वैक्‍सीनेशन नहीं होता या जो बहुत आक्रामक होते हैं उनसे रेबीज फैलने की आशंका ज्‍यादा होती है. रेबीज के लक्षण मरीज में भी दिखाई देने लगते हैं.

डॉ. बोरकर कहते हैं कि अगर मरीज को किसी रेबीज संक्रमित कुत्‍ते ने काटा है तो मरीज में कुछ लक्षण प्रकट होने लगते हैं. सबसे बड़ा लक्षण पानी से डरने का है. इसे हाइड्रोफोबिया भी कहते हैं. मरीज पानी से दूर भागेगा, पानी कम या बिल्‍कुल नहीं पीएगा. पानी को देखते ही इरिटेट होगा या उसे गुस्‍सा चढ़ेगा. पानी को छूने से डरेगा. इसके अलावा वह आक्रामक भी हो जाएगा. बेवजह गुस्‍सा और चिड़चिड़ाहट से भरा रहेगा. वहीं बुखार, उल्टियां आदि लक्षण भी दिखाई देंगे.

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डॉ. बोरकर कहते हैं कि अक्‍सर लोग ये बात पूछते हैं कि क्‍या ऐसा सच में होता है? क्‍या जानवरों के काटने से हुए रेबीज के बाद उनके लक्षण मरीज में दिखाई देने लगते हैं. कुत्‍ते से हुए रेबीज के बाद मरीज अस्‍पतालों में आते हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि वे भौंकने लगते हैं. रेबीज का वायरस जब खून में जाता है तो उससे उसे इरिटेशन होती है, सांस लेने में तकलीफ होती है, मसल्‍स में ऐंठन आदि होती है, वह आक्रामक हो जाता है, कभी-कभी जो उसकी देखभाल कर रहा होता है उससे भी दूर भागता है, उसे वॉटर फोबिया होता है लिहाजा उसका व्‍यवहार थोड़ा अजीब हो जाता है. अगर उसे गर्दन, मुंह या इसके आसपास काटने के बाद रेबीज हुआ है तो मरीज के ब्रेन पर भी वायरस हमला कर देता है और उसका अजीब ढंग से वह चिल्‍लाता या रोता है. उसका ब्रेन ठीक से काम नहीं कर पाता है तो लोग उसे डॉगी के बिहेवियर से जोड़ देते हैं.

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